Poems of Passion
- Each poem has been wonderful in its own way. These seven poems express love, passion and grief. Some of the poems have been written in Hindi. I would urge everyone to read and write, a poem for their love.
- Have something in my mind which I will reveal with time.
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- 2. Anonymous1 December 2018 at 21:48आज बैठे बैठे अचानक खयाल आयाReply
कुछ लिखा जाये तुझ पर, ऐसा मेरा मन किया,
सोचा, आज बयान करू लिख कर
बताऊ, तुझे, की तू क्या क्या हैं बादलव लाया |
किसने जाना था शुरू होने को था एक और नया सिलसिला
देखा था तुझे कही बार, पर कभी तुझ पर ध्यान नहीं दिया,
तेरे कुछ सवालो से शुरू हुई ये कहानी, मेरी खुश किसमाती बन जायेगी,
की तू ने मुझे अपना सब कुछ देकर भी मुझसे मेरा कुछ ना लिया |
तू कैसा हैं, मुझे तेरे उन सावालो ने ही जताया और बताया
आग थी उसमे, तुझमे, और उस आग के साथ दूसरो के लिए कुछ करने की समझ भी, ये मुझे एहसास था करवाया,
बेखबर थी मैं, की तू भी तोह मुझे देखता पढ़ता था ना
अनजाने में ही सही, हम दोनो ने एक दूसरे की तरफ था दोस्ती और मदद का हाथ था बढाया |
जानती-समझती थी थोड़ा सा तुझे, तू डरा सा सेहमा हुआ सा था,
मुझे थोड़ा सा दुखी देख कर, तेरा दिल भी तो रोता था,
मैं एक पल को भी खुश हो जाऊ तोह तू भी जी उठता था,
मैं अंजन थी इस बात से की, तुझे मुझ से प्यार हो चुका था |
दोस्ती को प्यार समझना, क्या आजकाल ये आम बात नहीं?
तूने कुभूल तो किया था, सच बताया था, पर मैं क्या करू मुझे कुछ समझ आया ही नही,
तू कितना मतलब समझता हैं येह जनना था मुझे,
ये प्यार ही था या तेरी गालतफहमी, ये साफ करना था मुझे |
मैने तुझ से कभी प्यार नही किया जैसे तू करता हैं, पर वादा था मेरा तुझे कभी छोड़ कर ना जाने का,
यकीन हुआ, तेरा प्यार सचा हैं जब तूने मेरे लिए, फैसला किया मुझे छोड़ कर जाने का |
तू मेरे लिए उस दुआ की तरह हैं जो मैने कभी मांगी ही नहीं, पर अब जो हैं मुझे प्यारी,
और मैं उस तारे की तरह हू, जो तेरे अंधेरे में बन सके तेरी रोशनी |
तू कहता हैं तूझे डर है, तू मुझे कही खो ना दे,
सून, तुझे शायद पता नहीं की तेरे जैसे ऐस दुनिया में कितने हैं कम,
खुदगारजी हैं ये मेरी, य़ा बादसलूकी कहु मैं इसे अपनी
पर, मैं हू हमेशा तेरे पास और साथ चाहे जो हो गम |
सच बताऊ तो मुझे नहीं पता, हमारी ज़िन्दगी हमें कितनी दूर तक, कहा तक ले जाऐगी,
पर, तू याद रखना, मेरा हाथ होगा हमेशा तुझे उठाने के लिए, मैं ना होकर भी साथ जो तेरे रहुंगी |
हमारी कहानी कुछ अजीब सी हैं ना, अलग सी और शायद इसलिये इतनी खास भी,
अनोखी दास्तान हैं, ज़हा एक बेइंतेहा प्यार करता हैं तो दूसरा, देना चाहता हैं अटूट साथ भी |
शुक्रिया! मेरी ज़िन्दगी में आने के लिए, मुझे खुद से इतना ज़ादा मिलवाने के लिए,
शुक्रिया! मुझे अपना प्यार बना कर भी, बिना बांदिश के आज़ाद पंछी की तरह आसमान में उड़ने देने के लिए |
शुक्रिया!
3. Anonymous2 December 2018 at 00:43
जिसका आजतक इज़हार कर ना पाया,
आज वो बात कहता हूं ,
हां मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं ।
डरता था हमेशा कहने से इस बात को,
रोक लेता था हमेशा मैं अपने जज़्बात को।
दिल की बातें जुबान तक कभी आई नहीं,
मेरे आंखों के जज़्बात कभी तुम समझ पाई नहीं।
दिल यह इज़हार करने से आज भी डरता है,
लेकिन यह कमबख्त तुमसे बहुत प्यार करता है।
तुम्हारा यूं मुझे देखकर नजरें झुकाना,
मेरी छोटी छोटी बातों पर यूं मुस्कुराना,
मुझे दीवाना बना देता है।
समझ नहीं पाता हूं कि यह बस यूं ही है,
या तुम्हारा कोई इशारा होता है।
जब जब तुम्हारे पास होता हूं,
तो एक एहसास होता है,
जैसा की अपने या किसी खास के साथ होता है।
नजरें हर कहीं हमेशा तुम्हें ढूंढती है,
बस तुम दिख जाओ यही ख्वाहिश होती है।
न जाने क्या रिश्ता है तुमसे,
आज तक मैं समझ नहीं पाया,
जब जब तुम्हारा नाम सुना है मैं हूं मुस्कुराया।
खैर ये वो बातें हैं जो मैं तुमसे कहना तो चाहता था, लेकिन कभी कह नहीं पाया।
जिंदगी भर सोचा था तुम्हारे साथ रहूंगा,
मैं तो दो पल भी तुम्हारे साथ ढंग से बैठ ना पाया।
एक ख्वाहिश रही है हमेशा से की तुम्हारे साथ बैठूं,
कुछ ना कहूं बस तुम्हें यूं ही देखता रहूं, देखता रहूं, देखता रहूं और देखता रहूं।- 4. Anonymous2 December 2018 at 02:17मेरे साज़ दिल से निकलने वाली राग हो तुम,Reply
मुक्कमल करने वाली मुझे एहसास हो तुम।
चाहता हूँ , तुम्हें इस कदर की ,
किसी भी हद से मैं जाऊंगा गुज़र,
अब और न तड़पाओ मुझे,
बरसा दो मुझपर अपने उल्फत का कहर।
चाहता हूँ डूबना तुझमे इसकदर,
मुझे खुद की भी न रहे कोई खबर।
चाहता हूँ तेरे सुर्ख लबों की प्यास मैं बनू,
हर रात आने वाला तुझे ख्वाब मैं बनू।
तेरे शहर दिल की हर गलियों में मेरा नाम हो,
तुझपर सिर्फ और सिर्फ मेरा अधिकार हो।
गूंजे मेरे दिल का आंगन,
तेरे खिल-खिलाती आवाज से,
तुझसा मीठा रास ,
कहा कोयल की राग में।
आँखें तेरी मधुशाला,
जिसका सुरुर मुझपर कुछ इसकदर है चढ़ा ,
मेरा मुझमे कुछ नही रहा।
बादल है ज़ुल्फ़ें तुम्हारी,
डूबना उनमे हसरत हमारी।
नूर तुम्हारे चेहरे पर है इतना कि ,
सूरज भी घबरा जाए,
और खुबसूरत इतना ,
कि चाँद भी शर्मा जाए।
यौवन तुम्हारा इतना कोमल,
की एकपल को भी देख ले कोई तो जाए पिघल।
अब और क्या कहूँ ,
केहनो को अब कुछ बाकी न रहा,
देखा है जब से तुम्हे मेरा चैन-वैन सबकुछ है,
खो चुका।
तुम्हे पाना अब जुनून है मेरा,
और इसे अब जरूर करूँगा मैं पूरा। -
A smile worth a diamond,
His words echo as if rhyming.
A part of my sorrows,
A person who makes me grows.
A hand, a face, a being... i look towards,
Makes me feel like kissing delicate orchids.
A friend, a wellwisher, an advicer and above all a soulmate,
My mind- world, My true blessing and funny indeed, as a playmate.
A person who made me learn so much,
With a twist and change by his touch.
I feel extremely blissful for his presence in my life, as a kinship,
Now, for the "three" years, we share a pure relationship of friendship.
This sure enough calls for a celebration so grand and lively,
Icecreams to be eaten all alone and still shared, with love so immensely.
Cheers ! To the most precious bond i share with you,
Cheers ! To the old new beginning of mine with you.
This is a pure dedication to the one most precious to me one can ever be,
The one who taught me how to write and express the inner and real me.
With all the love, care and affection and our being together
I promise with my words and actions, our always and together.- 6. Anonymous4 December 2018 at 14:24मैं शून्य हूँ, मैं निराकार हूँ,Reply
खुद में ही बर्बाद ,
खुद से ही आबाद हूँ,
में एक ऐसा राज़ हूँ,
जानकर भी सबसे अनजान हूँ।
मैंने वक्त को बदलते देखा है,
फूलो को खिलते और बिखरते देखा है,
ऋतुओं को बदलते देखा है,
बादलों को बनते, गरजते और बरस्ते देखा है,
मैंने खुशियों को ग़मों में बदलते देखा है।
मैं आभासी हूँ,
मैं प्रभासि हूँ,
मीरा की भक्ति,
कृष्ण की शक्ति,
मैं रैदासी हूँ,
जीवन का होता जहां अंत,
में उस समसान का वासी हूँ।
मैं शून्य हूँ,
मैं हज़ार हूँ,
प्रेम का रस,
सृस्टि का आधार हूँ,
चाँद को आया छूकर,
होकर शून्य पर सवार हूँ,
मैं शून्य हूँ, मैं निराकार हूँ।
वायु के वेग सा,
सूरज के तेज सा,
मैं ही ज्ञाता, सर्वशक्तिमान,
मुझमे ही विद्यमान ये सारा जहां है,
मेरा प्रत्येक कड़ ऊर्जा से गतिमान है।
मैं शून्य हूँ, मैं निराकार हूँ।
इस अनंत ब्रह्मांड का छोर हूँ,
शांत मन मे उठने वाला शोर हूँ,
सूरज की पहली किरण, भोर हूँ,
लगता तुम्हें झूट,
पर गति का विन्यास हूँ।
मैं शून्य हूँ, मैं निराकार हूँ।
मैं विष्णु का अंश,
कंस का काल, रावण का विध्वंस हूँ,
मैं रोशनी का वेग,
इस ब्रह्मांड का अनंत हूँ,
मैं इस सृस्टि का आरंभ और मैं ही अंत हूँ,
मैं शून्य हूँ, मैं निराकार हूँ।
जान न सका ज़माना जिसे जानकर,
मैं वो अनजाना राज़ हूँ,
मैं शून्य हूँ , मैं निराकार हूँ,
मैं शुन्य हूँ, मैं निराकार हूँ,
मैं शून्य हूँ, में निराकार हूँ।
7. Anonymous4 December 2018 at 23:29
I truly do wish
I could be more like you,
to live life without regret.
Won't you teach me
how to do as you do?
I promise to never forget...
First, clarify
just how to fake love
so others see it as real.
Then drain my soul
until it's void of
any feelings it may feel.
Instruct my heart
how not to break,
and like yours, turn to stone.
I'd never know loss
with nothing at stake;
I'd never be hurting alone.
Now demonstrate how
to walk out and leave
without ever saying goodbye.
Do disclose how
you so easily deceive..
teach me just how to lie
Train my eyes
to shed no more tears;
reveal where pain should hide.
Then teach me how
to deny my fears,
keeping them all locked inside.
I must know how
to ignore the ****
found in a passionate kiss.
Then un-teach my mind
the meaning of trust
so I'll never again feel like this!
Now explain how
I can forget our love,
make me believe it wasn't true..
And then when I master
all the above,
then, I will be more like you.
Poems of Passion
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1. Anonymous30 November 2018 at 18:22Reply
न तुझे खो देने का डर था कभी
जिस दिन तुझे देखा था,
मैने तो खुद को पाकार भी खो दिया था कही |
शायद उस वक़्त मेझे इस बात की भनक भी न थी,
कि तेरे चहरे के नूर से मुझे मोहब्बत हो चूकि थी |
अब इंतेजार तो बस उस पल का
जब तुझसे बात कर सकू,
तेरे दिल-ओ-दिमाग की आजमाइश कर
इस मोहब्बत को ईबादात बना सकू |
कुछ खास था तुझमे, ये खबर थी मुझे
और इस बात की हैरानी भी,
की मेरे जैसा ही कभी कोई मिलेगा मुझे |
तूने बिना ज़िस्म को छूए, मेरे दिल को, मेरी रूह को अपना बना लिया हैं,
तू इतनी दूर रहकर भी, मेरे दिल में, मेरी रूह पर अपनी घेरी छवि छोड़ कर गया हैं |
हाँ! तू छोड़ कर चला गया मुझे, पर तेरी याद मेरे पास ही रह गयी
मैं शायद नहीं हु तेरे साथ, पर... पर तू फिर भी मेरे पास ही रह गया |
क्या पाया? क्या खोया? ये किसने जाना?
जो पास हैं, वो दूर नहीं, और
जो दूर हैं, वो पास नहीं... ये किसने न माना?
ना! तू मेरे गम का या आसूओ की वजह नहीं,
बल्की तू तो हैं मेरी ख़ुशीओ का आशियाना,
हा! तू हैं मेरी सबसे बड़ी जीत और मेरा सबसे
किमती खजाना |
जो कुछ हुआ, उसमे तेरा कोई दोष नहीं,
जो कुछ मैने देखा, तेरे जाने के बाद, उसमे तेरा कोई कुसुर तो नहीं,
क्यूकि, तूने ही तो मुझे सबसे "हसीन एहसास-मोहब्बत" से रूबरू जो करवाया हैं...
बाकी सब अब इसके आगे कुछ , कुछ भी तो नहीं |
मुझे नहीं पता तू कभी लौत कर वापस आएेगा की नहीं,
मुझे नहीं पता तू कभी मुझे याद करता भी हैं या नहीं,
पर फिर भी तू मेरे दिल में हमेशा रहेगा,आखिर,
इस दिल ने, दिमाग ने कुछ वाफादारिया भी तो निभानी हैं की नहीं...
सच बता, क्या वो बात, वो "मुलाकात आखिरी" थी?
सच बता, क्या ये कहानी मेरी, और मेरी ही थी?